Rudrabhishek

रुद्राभिषेक का महत्त्व
रुद्राभिषेक भगवान शिव का अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली अनुष्ठान है, जिसमें शिवलिंग का अभिषेक विशेष विधि और मंत्रों के साथ किया जाता है। रुद्राभिषेक को वेदों और शास्त्रों में विशेष स्थान दिया गया है। इसे भगवान शिव को प्रसन्न करने, कष्टों से मुक्ति पाने और जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि लाने का अद्भुत उपाय माना गया है।
रुद्राभिषेक का अर्थ
“रुद्र” भगवान शिव का उग्र स्वरूप है और “अभिषेक” का अर्थ है पवित्र जल, दूध, और अन्य सामग्रियों से स्नान कराना। रुद्राभिषेक भगवान शिव के इस स्वरूप को शांत करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस अनुष्ठान में शिवलिंग पर अभिषेक के साथ “रुद्र” मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जिसे “रुद्रासुक्त” भी कहा जाता है।
रुद्राभिषेक करने का उद्देश्य
- कष्टों से मुक्ति
जीवन की परेशानियों, रोगों, और दुःखों को दूर करने में सहायक। - आध्यात्मिक उन्नति
व्यक्ति के मन और आत्मा को शांति और स्थिरता प्रदान करना। - धन और समृद्धि की प्राप्ति
पूजा से परिवार में आर्थिक प्रगति और ऐश्वर्य बढ़ता है। - नेगेटिव ऊर्जा से बचाव
रुद्राभिषेक सभी प्रकार की नकारात्मकता, दोष, और बाधाओं को समाप्त करता है। - पुण्य की प्राप्ति
भगवान शिव की कृपा से मनुष्य को जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है।
रुद्राभिषेक की प्रक्रिया
- शिवलिंग की शुद्धि
शिवलिंग को गंगाजल, गोमूत्र, और दूध से पवित्र किया जाता है। - अभिषेक सामग्री
रुद्राभिषेक के लिए आवश्यक सामग्री में गंगाजल, शहद, दही, घी, गन्ने का रस, भस्म, और चंदन आदि शामिल होते हैं। - मंत्र जाप
रुद्राभिषेक के दौरान “ॐ नमः शिवाय” और “मृत्युंजय मंत्र” का जाप किया जाता है। - रुद्रसूक्त का पाठ
यजुर्वेद के रुद्रासुक्त का उच्चारण किया जाता है। - विशेष अभिषेक विधि
भक्त शिवलिंग पर एक-एक कर सामग्रियों का चढ़ाव करते हुए मंत्रों का जाप करते हैं। - आरती और प्रसाद वितरण
अंत में शिवलिंग की आरती उतारी जाती है और भक्तों में प्रसाद वितरित किया जाता है।
रुद्राभिषेक के लाभ
- परिवारिक सुख-शांति
परिवार में सामंजस्य, सुख, और प्रेम बढ़ता है। - रोगों से मुक्ति
शारीरिक और मानसिक रोगों से छुटकारा मिलता है। - संतान सुख
निःसंतान दंपत्तियों को संतान का सुख प्राप्त होता है। - धन और समृद्धि
रुद्राभिषेक के प्रभाव से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। - कोर्ट-कचहरी और विवादों से छुटकारा
कानूनी और व्यक्तिगत विवादों में सफलता मिलती है। - आध्यात्मिक ऊर्जा का विकास
व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। - कालसर्प दोष और ग्रह दोष निवारण
कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष और ग्रह दोष का शमन होता है।
रुद्राभिषेक का शुभ समय
रुद्राभिषेक किसी भी सोमवार, प्रदोष व्रत, शिवरात्रि, श्रावण मास या महाशिवरात्रि के दिन करना अत्यंत शुभ होता है। इसे करने के लिए पंचांग देखकर शुभ मुहूर्त का चयन करना चाहिए।
रुद्राभिषेक का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व
भगवान शिव को महादेव कहा जाता है क्योंकि वे सम्पूर्ण सृष्टि के विनाशक और पुनर्सृजनकर्ता हैं। रुद्राभिषेक के माध्यम से व्यक्ति अपने कष्टों को दूर कर सकता है और ईश्वर के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण प्रकट कर सकता है। यह पूजा न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है।
“रुद्राभिषेक भगवान शिव के सान्निध्य और आशीर्वाद प्राप्त करने का दिव्य माध्यम है। इससे भक्तों का जीवन आध्यात्मिक रूप से समृद्ध और समस्याओं से मुक्त हो जाता है।
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सर्व सिद्ध पीठ माँ बगलामुखी मंदिर नलखेड़ा जिला आगर मालवा (म.प्र.)
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अधिक जानकारी
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